google.com, pub-8318455656300544, DIRECT, f08c47fec0942fa0 INDIAN ECONOMY ( भारतीय अर्थव्यवस्था ) For SSC,UPSC,RAILWAY

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INDIAN ECONOMY ( भारतीय अर्थव्यवस्था ) For SSC,UPSC,RAILWAY

 





भारतीय अर्थव्यवस्था 


अगर आप CDS का एग्जाम देने जा रहे है तो आपको  ये आज का टॉपिक पढ़ना चाहिए ये बहुत महत्वपूर्ण है।  .... 

तो चलिए शुरू करते है। .



परिचय भारतीय अर्थव्यवस्था की .... 

हमारी जो भारतीय अर्थव्यवस्था है ये कृषि प्रधान है और कृषि प्रधान होने का मतलब है की इसमें कृषि ,हस्तशिल्प ,उद्योग जैसी किए सेवाएं चलती है इनके साथ -साथ भारत की दो-तिहाई जनसंख्या डायरेक्ट या indirect मतलब प्रत्यछ या अप्रत्यछ रूप से कृषि पर ही निर्भर है  

आज सकल घरेलू उत्पाद के आधार पर विश्व में भारत 7वें स्थान पर है... और क्रय की स्थिति में भारत तीसरे स्थान पर है। 


विशेषताएं  भारतीय अर्थव्यवस्था की 


निम्नलिखित तरीको से भारतीय अर्थव्यवस्था जानी जाती है -


१.  कृषि अर्थव्यवस्था


कृषि अर्थव्यवस्था से मतलब है की आज भारत की आधी से  ज्यादा कार्य करने वाली  जनसंख्या कृषि पर निर्भर है.


२. मिश्रित अर्थव्यवस्था 


भारतीय अर्थव्यवस्था में सार्वजानिक या निजी दोनों छेत्रों में बराबर का महत्व देते है चाहे वह सरकारी हो या निजी उद्यम वाले दोनों ही उत्पादन करने एवं उनको आगे बढ़ाने में जुटे रहते है। मिश्रित अर्थव्यवस्था शब्द एक अर्थशास्त्री जे ऍम कीन्स ने प्रतिपादित किया। ये भारतीय अर्थव्यवस्था में वर्ष 1948 के औद्योगिक निति के तहत लागु किया गया। 

विकासशील अर्थव्यवस्था  

  • निम्न प्रति व्यक्ति आय और कार्यरत जनसँख्या जो प्राथमिक छेत्रो में अधिकता 
  • लगातार बढ़ती हुई पूंजी 
  • प्रति व्यक्ति पर कम या औसत सम्पति का बटवारा या वितरण 
  • जनसँख्या का अधिक होना बेरोजगारी की एवं अलप बेरोजगारी की समस्या 
  

भारतीय अर्थवयवस्था की छेत्रवर स्थिति


भारतीय अर्थवयवस्था के प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित प्रकार से है।


प्राथमिक क्षेत्र - प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत उन सभी क्रियाओं को शामिल किया जाता है जिनका संबंध प्राकृतिक संसाधनों के उत्पादन और निष्कर्षण से है इसमें कृषि पशुपालन मत्स्य पालन  शामिल हैं


द्वितीय क्षेत्र- वित्तीय क्षेत्र में क्रियाएं प्राकृतिक संसाधनों के प्रसंस्करण से संबंधित होती हैं इसमें विनिर्माण बिजली गैस जलापूर्ति निर्माण आदि शामिल होते हैं।


तृतीय क्षेत्र- तृतीय क्षेत्र की क्रियाएं प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्र को सेवा कार्यों द्वारा सहयोग प्रदान करते हैं इसमें वित्त परिवहन संचार होटल व्यापार व अन्य सेवाएं आती हैं।


अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्र


चतुरधातुक क्षेत्र - अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में बहुत दिक्कत विधियों को शामिल किया जाता है क्षेत्र से संबंधित गतिविधियों में शामिल है जिसे सरकार संस्कृति पुस्तकालय अनुसंधान शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी


पंच संख्यक क्षेत्र - इसके अंतर्गत समाज अर्थव्यवस्था में उचित स्तर के निर्णय लेने वाले जैसे विश्वविद्यालय मीडिया विज्ञान विहार लाभ संस्थान आदि को शामिल किया जाता है।



मानव विकास सूचकांक

वर्ष 1990 से संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था यूएनडीपी प्रतिवर्ष एक मानव विकास रिपोर्ट प्रकाशित कर रही है मानव विकास सूचकांक आयु संभालता शैक्षणिक स्तर तथा प्रति व्यक्ति आय के मानकों पर आधारित सूचकांक पर संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा लाई गई मानव विकास सूचकांक के पहले रिकॉर्ड का निर्माण महबूब उल हक के नेतृत्व में हुआ था।


मानव विकास के सूचक


मुख्यतः मानव विकास के तीन सूचक होते हैं जो निम्नलिखित हैं

जीवन प्रत्याशा सूचकांक - इनमें जन्म के समय जीवन प्रत्याशा सूचकांक को स्वास्थ्य का सूचक माना जाता है


शिक्षा प्राप्ति सूचकांक- इस स्थान की गणना 25 वर्षों या उससे ऊपर के वयस्क तथा बच्चों में शिक्षा और उसके विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने की संभावित अवधि के आधार पर निकाला जाता है।


रहन-सहन स्तर सूचकांक- मानव विकास के सूचक के रूप में रहन-सहन के स्तर की गणना प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय के आधार पर की जाती है इस सूचकांक में आए के लघुगणक का प्रयोग किया जाता है जो यह बताता है कि कैसे आए बढ़ने से इसका महत्व सकल राष्ट्रीय आय के अनुपात में कम होता है।


मानव विकास रिपोर्ट 2016 मानव विकास रिपोर्ट एक वार्षिक रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की जाती है मानव विकास रिपोर्ट 2016 के अनुसार कुल 188 देशों की सूची में भारत का स्थान 131 था।


राष्ट्रीय आय


राष्ट्रीय से तात्पर्य किससे अर्थव्यवस्था में एक निश्चित वित्तीय वर्ष के दौरान उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के अंतिम मूल्य को राष्ट्रीय आय कहा जाता है भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च के मध्य का समय होता है।



राष्ट्रीय आय का मापन


उत्पादन विधि

आई विधि

व्यय विधि 


राष्ट्रीय आय की गणना का इतिहास


भारत में सबसे पहले राष्ट्रीय आय की गणना का कार्य 18 सो 68 ईस्वी में दादा भाई नौरोजी द्वारा किया गया उन्होंने अपनी पुस्तक पावर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया के द्वारा व्यक्त किया उसमें द्वारा बनर्जी ने उस समय प्रति व्यक्ति वार्षिक आय रुपए 20 बताई थी वर्ष 1925 में डॉ बीके आर वीरावने वैज्ञानिक पद्धति से राष्ट्रीय आय की गणना की और राष्ट्रीय लेखा प्रणाली की गणना को प्रचलन में लाए।



राष्ट्रीय आय समिति


वर्ष 1948 49 में प्रोफेसर पीसी महालनोविस की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आय समिति की नियुक्ति की गई राष्ट्रीय आय समिति ने अपनी प्रथम रिपोर्ट वर्ष 1951 में तथा अंतिम रिपोर्ट वर्ष 1954 में दी राष्ट्रीय आय समिति की अनुशंसा पर ही राष्ट्रीय संबंधी लेखा प्रणाली का ढांचा स्थापित हुआ और केंद्रीय सांख्यिकी संगठन की स्थापना की गई राष्ट्रीय आय की गणना केंद्रीय संगठन द्वारा की जाती है वर्तमान में इसकी तुलना में वर्ष 2011-12 का आधार है जबकि इससे पूर्व आधार वर्ष 2004-5 थे इस आधार वर्ष में प्रत्येक 5 वर्षों के अंतराल पर पुनः निरीक्षण किया जाता है।



भारतीय अर्थव्यवस्था की जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर हमेशा बना रहे थे आपको हर एक महत्व परीक्षा के लिए अच्छे आर्टिकल्स के साथ-साथ महत्वपूर्ण एक और तथ्य भी आपको बताया जाएंगे हमारे साथ इसका बनाने के लिए धन्यवाद आगे पढ़ना जारी रखें।




हमने बात की कुछ इंपॉर्टेंट टॉपिक्स कि अब हम बात करेंगे कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं।




दीनदयाल अंत्योदय योजना

( ग्रामीण आजीविका मिशन )


राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की शुरुआत स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के पुनर्गठित संस्करण के रूप में 1 जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा की गई वर्ष 2015 में मिशन का नाम दीनदयाल अंत्योदय योजना कर दिया गया इस मिशन का उद्देश्य ग्राम उप ब्लॉक एवं उच्चतर स्तरों पर स्वयं सहायता समूह गरीबों के संस्थान को फेडरेशन के रूप में गठित करके उन के माध्यम से लाभप्रद स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है इस मिशन में आवंटन आधारित रणनीति के स्थान पर मांग की रणनीति को अपनाया गया है अतः इसमें योजना बनाने के लिए राज्यों को अधिक स्वायत्तता प्राप्त की प्राप्त है इसमें लाभार्थियों की पहचान के लिए बीपीएल के स्थान पर सामुदायिक स्तर पर गरीबों की भागीदारी पहचान को अपनाया गया।



महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना



2 फरवरी 2009 को प्रारंभ इस योजना में 5 सदस्य परिवार से कम से कम एक सदस्य को आवेदन के 15 दिनों के अंदर अपने घर से 5 किमी के दायरे में कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई है इस योजना की लागत का वाहन केंद्र एवं राज्य द्वारा किया जाता है कौशल विहीन हाथ के कार्यों के लिए सौ परसेंट मजदूरी का वाहन केंद्र सरकार करती है राज्य सरकार इस ऑपरेशन रोज बेरोजगारी भत्ते का वहन करती है।




शहरी विकास योजना



स्मार्ट सिटी मिशन


इस मिशन का उद्देश्य से शहरों को प्रोत्साहित करना है जो मुख्य अवसंरचना उपलब्ध कराएं अपने नागरिकों को बेहतर जीवन स्तर प्रदान करें एवं स्वच्छ व दूषित वातावरण में स्मार्ट समाधान यह प्रशासन अब कुछ प्रबंधन जल प्रबंधन स्मार्ट पार्किंग टेलीमेडिसिन एवं एजुकेशन आदि लागू करें स्मार्ट सिटी मिशन को एक केंद्र प्रायोजित स्कीम के रूप में चलाया जाएगा भारत सरकार की गतिविधियों और राजू यू एल बी द्वारा समान योगदान के अतिरिक्त से सिंधिया राष्ट्रीय निवेश और संरक्षण निधि पीपीटी के माध्यम से निजी क्षेत्र नगर पालिका बांड से जुटाई जाएगी। 


अमृत योजना


इसके अंतर्गत देश के 500 शहरों में मूलभूत सुविधाओं जलापूर्ति विकास व्यवस्था यातायात आदि के विस्तार की रणनीति तैयार की गई है योजना का कुल परी में 5 वर्षों 2015-16 से 2019-2020 के लिए 5000 करोड़ निर्धारित है या केंद्र प्रायोजित योजना है।


अधिक जानकारी के लिए हमारे वेबसाइट सरकारी एक्जाम प्रिपरेशन के नोटिफिकेशन बेल आइकन को प्रेस करें एवं अधिक जानकारी के लिए हमारी अगली पोस्ट जरूर पढ़ें और others एग्जाम के लिए हमारी वेबसाइट पर काफी ढेर सारे एक्जाम प्रिपरेशन मैटेरियल है वह आप देख सकते हैं।







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